अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मुख्य रूप से लैंगिक समानता , प्रजनन अधिकार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित है..

हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है l आज का दौर बदल चुका है, चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो? महिलायें हर जगह अपनी पहचान स्थापित कर चुकी हैं l यह दिन महिलाओ के धैर्य, तप और साहस को पूरी तरह समर्पित है, और उनकी हर क्षेत्र में योगदान को सम्मान देने का दिन है l ऐसे में इस दिन से कुछ तथ्यों को जानना आवश्यक हो जाता है l
अंतरराष्टीय महिला दिवस की शुरुआत

अंतरराष्टीय महिला दिवस वास्तव में आज से 115 वर्ष पूर्व 1910 में पहली बार मनाया गया था l इसकी शुरुआत पूरी दुनिया के लोगो (खासकर महिलायें) में समानता के उद्देश्य से हुई थी l उस समय महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ (WSPU) ने महिलाओं के लिए समानता के अधिकार की जोर शोर से लड़ाई लड़ी और इसके लिए एक बड़े आंदोलन को जन्म दिया l
वो कौन से रंग जो अंतरराष्टीय महिला दिवस की पहचान बन गये?

इस दिन को इससे जुड़े रंग बेहद खास बनाते हैं क्योंकि हर रंग के अपने विशेष मायने हैं l पहला रंग है बैगनी, ये रंग इस दिन के लिए विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि ये रंग त्याग का प्रतीक है और समानता की लड़ाई के साथ इसका ऐतिहासिक संबंध है l इसके अलावा हरा और सफ़ेद रंग का भी संबंध इस दिन के साथ तब से है जब WSPU के झंडे में ये शामिल थे l
वैश्विक स्तर पर महिलाओ की भागीदारी!

वैश्विक स्तर पर आज, विज्ञान, इंजीनियरिंग और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हर 10 में से केवल 2-3 महिलाओं की ही नौकरियों और उच्च पदों पर भागीदारी है। हाँलाकि पिछले वर्षो से महिलाओं भागीदारी का प्रतिशत बढ़ रहा है लेकिन फिर भी अभी भी बहुत अंतर दिखाई पड़ता है l वेतन का अंतर भी धीरे धीरे कम हो रहा है, कुछ स्थानों पर तो समान वेतन लागू भी लागू कर दिया गया है l लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है l
लिंग के आधार पर पक्षपात नया नहीं है, संसार के ज्ञात सम्पूर्ण इतिहास में ये दिखाई देता है l अभी भी ये देखते को मिलता है कि अक्सर, लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं को कारण बनाकर अपने मनचाहे रास्ते चुनने से रोका जाता है।
2025 के अंतरराष्टीय महिला दिवस की थीम क्या है?

इस वर्ष अंतरराष्टीय महिला दिवस की थीम है- लैंगिक समानता के लिए जरुरी ठोस कदम उठाना और इसको योजना के क्रियान्वन को गति देना l विश्व भर की महिलाओं को मौजूदा गति के हिसाब से लैंगिक समानता में वर्ष 2158 तक का समय लगेगा l
वैश्विक स्तर पर आज, विज्ञान, इंजीनियरिंग और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हर 10 में से केवल 2-3 महिलाओं की ही नौकरियों और उच्च पदों पर भागीदारी है। हाँलाकि पिछले वर्षो से महिलाओं भागीदारी का प्रतिशत बढ़ रहा है लेकिन फिर भी अभी भी बहुत अंतर दिखाई पड़ता है l वेतन का अंतर भी धीरे धीरे कम हो रहा है, कुछ स्थानों पर तो समान वेतन लागू भी लागू कर दिया गया है l लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है l
लिंग के आधार पर पक्षपात नया नहीं है, संसार के ज्ञात सम्पूर्ण इतिहास में ये दिखाई देता है l अभी भी ये देखते को मिलता है कि अक्सर, लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं को कारण बनाकर अपने मनचाहे रास्ते चुनने से रोका जाता है।
वैश्विक स्तर पर आज, विज्ञान, इंजीनियरिंग और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हर 10 में से केवल 2-3 महिलाओं की ही नौकरियों और उच्च पदों पर भागीदारी है। हाँलाकि पिछले वर्षो से महिलाओं भागीदारी का प्रतिशत बढ़ रहा है लेकिन फिर भी अभी भी बहुत अंतर दिखाई पड़ता है l वेतन का अंतर भी धीरे धीरे कम हो रहा है, कुछ स्थानों पर तो समान वेतन लागू भी लागू कर दिया गया है l लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है l
लिंग के आधार पर पक्षपात नया नहीं है, संसार के ज्ञात सम्पूर्ण इतिहास में ये दिखाई देता है l अभी भी ये देखते को मिलता है कि अक्सर, लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं को कारण बनाकर अपने मनचाहे रास्ते चुनने से रोका जाता है।
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