एआई के गॉडफादर ने जताई एआई को लेकर चिंता !

एआई और उसकी बदते दायरे ने सभी को चिंता में डाल दिया है

एआई के गॉडफादर माने जाने वाले कंप्यूटर वैज्ञानिक जैफरी हिंटन ने एआई को लेकर चिंता जताई है l उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि शायद ऐसा इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब धरती पर इंसानों से ज्यादा संख्या में बुद्धिमान (intelligent) चीजे होंगी l

एआई

इस इंटरव्यू में उनसे एआई से संबंधित कई सवाल पूछे गए जिसमे एक सवाल था क्या आपको लगता है एआई में समझ है? इसके उत्तर में उन्होंने कहा – हाँ l दूसरा सवाल पूछा गया, क्या एआई बहुत ज्यादा समझदार है? तो उन्होंने कहा – हाँ l फिर पुछा गया कि क्या एआई सिस्टम का अपना कोई अनुभव है और क्या वो इन अनुभव के आधार पर कोई फैसला ले सकता है? तो उनका जवाब था – हाँ, बिलकुल इंसानों की ही तरह वो ये कर सकता है l अगले सवाल में उनसे पूछा गया कि क्या एआई सचेत है? उन्होंने कहा नहीं, क्योंकि वो अभी स्वयं से जागरूक नहीं है l जब इसी से जुड़ा सवाल पूछा गया कि क्या भविष्य में ये स्वयं जागरूक होगा ? तो उनका जवाब था – हाँ, बिलकुल l
तो फिर एआई भविष्य में मनुष्य की जगह पहला बुद्धिमान बन जायेगा और मनुष्य दूसरा ? इस के जवाब में उन्होंने कहा – जी हाँ l जब उनसे पूछा गया कि क्या हम उसका सिस्टम बंद नहीं कर सकते? तो उनका जवाब था वो इतना समझदार हो जायेगा कि ऐसी परिस्थिति में वो इन्सान को अपने हित में राजी कर लेगा, क्योंकि वो दुनिया की सारी किताबें पढ़ चुका है और सीख भी चुका है l उन्होंने बताया कि जब किसी चैटबॉट से कोई वाक्य पूरा करने के लिए कहा जाता है तो हमें लगता है कि वो सिर्फ वाक्य पूरा कर रहा है, पर ऐसा नहीं है वो पहले उस वाक्य को समझता है, तब उसे पूरा कर पाता है l एआई इतना समझदार हो गया है कि ये इंसानों की बेरोजगारी के खतरे के रूप में देखा जाने लगा है और इसकी तुलना रेडिओलोजिस्ट से की जाती है l
उन्होंने कहा कि सीखने में एआई इंसानों से बेहतर है l एक बड़े एआई चैटबॉट में एक ट्रिलियन कनेक्शन होते जबकि इंसान के मस्तिस्क में 100 ट्रिलियन, इंसानों से कम कनेक्शन के बावजूद भी एआई इंसानों से सौ गुना ज्यादा जानता है l जब उनसे पूछा गया कि एआई को तो इंसानों ने बनाया है? तो उन्होंने कहा नहीं, हमने सिर्फ इसकी लर्निंग एल्गोरिथम को बनाया है लेकिन जब ये एल्गोरिथम डेटा के साथ जुड़ जाती है तो एक न्यूरल नेटवर्क तैयार करती है फिर हम भी नहीं जानते कि ये वाकई में किस तरह काम करता है l एआई कभी भी हमारे नियंत्रण से बाहर हो सकता है और ये खुद में बदलाव करने के लिए कंप्यूटर कोड भी लिख सकता है l
उन्होंने बताया कि एआई को विकसित होने में लगभग 50 वर्षो का समय लगा l उन्होंने कहा जब वो 70 के दशक में जैफिरी यूनिवर्सिटी में पढाई कर रहे थे तब वो ह्युमन ब्रेन पर स्टडी और न्यूरल नेटवर्क पर काम करना चाहते थे l पर उसे समय किसी ने नहीं सोचा था कि एक सॉफ्टवेयर, मानव मस्तिष्क कि तरह काम कर सकता है l उनके पीएचडी सलाहकार ने उन्हें ये टॉपिक छोड़ने कि सलाह भी दी थी l उन्होंने कहा कि मैं कभी मानव मस्तिष्क को पूरी तरह समझ नहीं पाया पर इतने वर्षो में एक आर्टिफीसियल ब्रेन विकसित हो गया जिसे आज हम एआई कहते हैं l
जैफरी हिंटन 75 वर्ष के हैं और वो यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो में प्रोफेसर के पद पर हैं l 2024 में उन्हें नोबल पुरुस्कार मिला और तब उन्होंने ये काफी चर्चित इंटरव्यू दिया था l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *