हर नए हम जीवन की और प्रकृति की नई नई चीजो से परिचित होते हैं और हमारी खोज निरंतर जारी रहती है l इस खोज हमें प्रकृति निरंतर चौंकाती रहती है l प्रकृति में हो रहे निरंतर बदलाव भी आश्चर्यचकित करते हैं और विचार करने पर मजबूर करते है l जानते हैं, प्रकृति के कुछ ऐसे तथ्य जिन्हें जानकार आप शायद चौंक जायेंगे l
- अफ्रीका में पाई जाने वाली भैंस वोट देकर अपने निर्णय लेती हैं
अभी तक हम जानते थे कि केवल मानव ही वोट देकर निर्णय करते है पर खोज में पता चला है कि अफ्रीका में पाई जाने वाली भैंस अपनी यात्रा का निर्णय वोटिंग से लेती हैं l जब इन भैंसों के झुण्ड को यह निर्णय लेता होता है कि किस दिशा में यात्रा करनी है तब वे वोटिंग प्रक्रिया से ये निर्णय लेती हैं l आश्चर्यजनक बात ये है कि जब वोट विभाजित हो जाते हैं तब यह अस्थाई होता है और तब केवल मादा व्यस्क भैंसों को ही वोट देने कि अनुमति होती है l - पृथ्वी पर इतने पेड़ हैं जीतने आकाशगंगा में तारे नहीं !
धरती पर इतने अधिक पेड़ हैं कि वैज्ञानिकों ने एक नई गणना विधि इनकी गिनती करने के पश्चात् ये पाया कि आकाशगंगा में तारों की तुलना में पृथ्वी पर पेड़ो कि संख्या अधिक है l वैज्ञानिकों कि इस गणना के अनुसार आकाशगंगा में लगभग 1 अरब से 4 अरब तारे हैं वहीँ पृथ्वी पर लगभग 3 ट्रिलियन पेड़ हैं जो कि एक बहुत बड़ी संख्या है l लेकिन पेड़ो कि इतनी अधिक संख्या होने के बाद भी हमारा कर्तव्य है कि पर्यावरण संतुलन के लिए हम निरंतर पेड़ लगाना जारी रखें l - चिड़िया जो डायनासौर की वंशज कहलाती है!
जब भी हम पृथ्वी पर सबसे विशालकाय जीव के बारे में सोचते हैं तो हमारे दिमाग में डायनासौर ही आता है l 1960 के लगातार खोजो में ये प्रमाण मिले हैं कि चिड़िया/पक्षी सीधे तौर पर डायनासौर के वंशज हैं l स्मिथसोनियन पत्रिका में छपी खबर के अनुसार सभी पक्षी डायनासौर के वंशज है पर सभी ऐसा नहीं है कि सभी डायनासौर पक्षी थे वरन कुछ डायनासौरों के कुछ गुण पक्षियों से मिलते थे l - हाथी कभी नहीं भूलते!
हाथियों की याददाश्त पृथ्वी पर मौजूद बाक़ी सभी जीवो कि तुलना में बहुत बेहतर होती है l इसलिए अक्सर आपने ये कहावत सुनी होगी कि याददाश्त हो तो हाथी जैसी l मानव सहित सभी स्तनधारी प्राणियों की तुलना में हाथी में टैम्पोरल लोब बहुत बड़ा और सघन होता है l ये मस्तिष्क का वो हिस्सा होता है जो याददाश्त से सम्बंधित है, इसी वजह से हाथियों की याददाश्त क्षमता भी बहुत अधिक होती है l - शार्क, डायनासौर से पहले आस्तित्व में थीं!
यदि हम पृथ्वी पर सबसे पुराने जीवों की चर्चा करें तो हम अक्सर डायनासौर के बारे में बात करते हैं परंतु डायनासौर से पहले शार्क का अस्तित्व पृथ्वी पर मौजूद था l शार्क का आस्तित्व लगभग 400 मिलियन वर्षो से है जबकि डायनासौर का लगभग 245 मिलियन वर्षो से l शार्क का कंकाल हड्डियों कि बजाय कार्टिलेज (उपास्थि) से बना होता है इसिलए अक्सर ये माना जाता है कि अन्य जीवो कि तुलना में शार्क जीवाश्म नहीं छोड़ते, परंतु पिछले कुछ वर्षो में शार्क के दांत के रूप में जीवाश्म मिले हैं l - जंगल वर्षा करा सकते हैं!
पेड़/पौधे, धरती पर पर्यावरण संतुलन के सबसे उपयोगी घटक हैं l पेड़ और पौधे मिट्टी से पानी ससोक कर वायुमंडल में छोड़ते हैं जिसके फलस्वरूप बारिश होती है l बारिश होने पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत आवश्यक है और पेड़/पौधे इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण किरदार है l इसके अलावा ये पृथ्वी पर तापमान को नियंत्रित भी करते हैं l अमेज़न को जंगलो के कुछ हिस्सों को अपनी वर्षा ऋतू चालू करने के लिए भी जाना जाता है l - डाल्फिन में सहानभूति प्रकट करने की क्षमता होती है!
ये तो हम सभी जानते हैं कि डालफिन एक बुद्धिमान जीव होता है पर शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि इसमें भावनात्मकता भी होती है l कुछ वैज्ञानिको का ये मानना है कि डालफिन में सहानभूति महसूस कर सकती हैं l ऐसे बहुत से मामले देखे गए हैं जब डालफिन ने मानव और अन्य जीवों कि रक्षा की l वैज्ञानिक इसके लिए कोई निश्चित प्रमाण नही दे पाए कि डालफिन ऐसा क्यों करती हैं पर उनका ये मानना है कि डालफिन में अन्य जानवरों कि तुलना में सहानभूति का स्तर अधिक होता है क्योंकि डालफिन द्वारा ऐसा करने कि घटनाएँ नई नहीं है इतिहास में ऐसी घटनाओ का जिक्र मिलता है l - पेड़ जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं!
आपको शायद ये जानकार आश्चर्य होगा कि खतरा होने पर पेड़ जवाबी कार्रवाई भी कर सटे हैं l हालाँकि ये कार्रवाई वैसी नहीं होती जैसी हम कल्पना करते हैं l पेड़ो में मनुष्य की तरह एक आंतरिक सुरक्षा तंत्र होता जो उन्हें बीमारी आदि से बचाने में मदद करती हैं l जैसे जब कोई कीट पेस या उसकी पत्तियों को निशाना बनाता है तो पेड़ फिनोलिक्स नामक रसायन का रिसाव कर अपनी रक्षा कर सकते हैं l इस प्रकार पेड़ भी जवाबी कार्रवाई करते हैं पर बहुत ही शांत तरीके से l - मधुमक्खियाँ नाच कर संवाद करती हैं!
कई शोधो में ऐसा पता चला है कि मधुमखियाँ में संवाद कर सकती हैं l उनके संवाद का तरीका बहुत अनोखा क्योंकि वे संवाद करने के लिए नृत्य करती हैं l इनके नाच में डॉ तरह की मुद्राओं का उपयोग किया जाता है l एक मधुमक्खी नाच कर दूसरी मधुमक्खियो को फूल कि दिशा और स्थान का संकेत देती है और बाकि मधुमखियाँ उसे देखकर फूल तक पहुँचती है l - डालफिन भी नामों का उपयोग करती हैं!
ये तो हम जानते हैं कि डालफिन एक बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी है पर यह जानकार आप हैरान हो जायेंगे कि वो अपने दल में एक दूसरो को विशिष्ट नामों से पहचानती है l कुछ वैज्ञानिक शोधो में यह पाया गया है कि डालफिन को जब दूसरे डालफिन को पुकारना होता है तो वो एक विशिष्ट तरह की सीटी बजाती है जिसे वही दूसरी डालफिन सुनकर प्रतिक्रिया देती है जिसके लिए वो बजाई गई थी l इस प्रकार अलग अलग डालफिन के लिए सीटी कि ध्वनि भिन्न होती है जिसे हम भिन्न नाम कह सकते हैं l
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