भारतीय अर्थव्यवस्था स्वतंत्रता प्राप्ति के दशको बाद अब पूरी तरह बदल चुकी हैl आज का भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा हैl
आज से कुछ दशक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी में देखा जाता था, जहाँ चुनौतियाँ अक्सर संभावनाओं पर भारी पड़ती थीं। लेकिन आज, जब हम 2025 में खड़े हैं, यह तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। भारतीय अर्थव्यवस्था आज दुनिया में चौथे स्थान पर पहुँच चुकी हैl
भारतीय अर्थव्यवस्था अब केवल ‘विकासशील’ नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर तेजी से अग्रसर एक जीवंत और गतिशील इकाई है और 2047 के विकसित भारत के सपने को साकार करने की ओर अग्रसर है l
अंकों की जुबानी, भारत की कहानी:
सबसे पहले, आइए कुछ आंकड़ों पर गौर करें जो भारतीय अर्थव्यवस्था के दम को साफ दर्शाते हैं:
- दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक: लगातार उच्च GDP वृद्धि दर भारत की सबसे बड़ी ताकत है। भले ही वैश्विक उतार-चढ़ाव रहे हों, भारत ने अपनी गति बनाए रखी है।
- सबसे बड़ी उपभोक्ता बाजार में से एक: 1.4 अरब से अधिक लोगों का देश होने के नाते, भारत एक विशाल आंतरिक बाजार प्रदान करता है, जो घरेलू उत्पादन और खपत को बढ़ावा देता है।
- बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार: यह विदेशी निवेश और आर्थिक स्थिरता के लिए एक मजबूत संकेत है।
- सुधारों की गति: पिछले कुछ वर्षों में किए गए संरचनात्मक सुधार, जैसे GST, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (IBC), और डिजिटलीकरण ने व्यापार करने में आसानी को बढ़ाया है और निवेश के अनुकूल माहौल बनाया है।
दम कहाँ से आता है? भारत की अनोखी ताकतें:
भारतीय अर्थव्यवस्था का ‘दम‘ केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि इसकी अंतर्निहित शक्तियों में भी छिपा है:
- जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend): भारत दुनिया की सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक है। यह एक विशाल कार्यबल प्रदान करता है, जिसमें युवा ऊर्जा, नवाचार और सीखने की ललक है। सही कौशल विकास और रोजगार के अवसर मिलने पर यह लाभांश भारत को दशकों तक आर्थिक गति प्रदान कर सकता है।
- डिजिटलीकरण की क्रांति: ‘डिजिटल इंडिया’ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक हकीकत है जिसने आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया है। UPI, आधार, और जन धन खाते जैसे प्लेटफॉर्म ने वित्तीय समावेशन को बढ़ाया है और भुगतान प्रणालियों को अत्यधिक कुशल बनाया है। यह डिजिटल बुनियादी ढांचा नए व्यवसायों और सेवाओं के लिए अनगिनत अवसर पैदा कर रहा है।
- उद्यमिता और नवाचार की भावना: भारत में स्टार्टअप क्रांति ने दुनिया को हैरान कर दिया है। बेंगलुरु से लेकर टियर-2 शहरों तक, युवा उद्यमी नए विचारों और प्रौद्योगिकियों के साथ सामने आ रहे हैं। यह नवाचार केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है।
- मजबूत सेवा क्षेत्र: भारत का सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी और संबंधित सेवाओं (ITeS) ने वैश्विक पहचान बनाई है। यह क्षेत्र उच्च-कुशल रोजगार पैदा करता है और महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
- विविधतापूर्ण कृषि क्षेत्र: भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो बड़ी आबादी को भोजन प्रदान करती है। कृषि में सुधार और आधुनिकीकरण की पहलें इस क्षेत्र को और अधिक उत्पादक बनाने की क्षमता रखती हैं।
- बढ़ता विनिर्माण आधार: ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और रक्षा जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ रहा है, जिससे रोजगार सृजन और निर्यात में वृद्धि हो रही है।
- लचीली नीतियां और वैश्विक भागीदारी: भारत सरकार सक्रिय रूप से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियां अपना रही है। साथ ही, भारत वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत कर रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के नवीनतम आंकड़े (मई 2025 तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार)
1. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर:
- वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2025): 7.4%
- पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए: 6.5% (यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 9.2% से कम है, लेकिन फिर भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।)
2. विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves):
- 23 मई 2025 को समाप्त सप्ताह तक: लगभग $692.72 बिलियन
- यह 6.99 अरब डॉलर की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाता है। सितंबर 2024 में यह $704.88 बिलियन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
3. मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate):
- अप्रैल 2025 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति (CPI): 3.16% (यह जुलाई 2019 के बाद सबसे कम वार्षिक मुद्रास्फीति दर है।)
- मार्च 2025 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति: 3.34%
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति: 4.6%
- खाद्य मुद्रास्फीति (मार्च 2025): 2.69%
4. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit):
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिए: GDP का लगभग 4.77% (संशोधित अनुमान 4.84% से बेहतर)
- वित्त वर्ष 2023-24 में: GDP का 5.63%
5. विभिन्न क्षेत्रों का GDP में योगदान (अनुमानित):
- सेवा क्षेत्र (Tertiary Sector): भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा खंड, GDP में लगभग 55-60% का योगदान। इसमें आईटी सेवाएं, वित्त, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा आदि शामिल हैं।
- औद्योगिक क्षेत्र (Secondary Sector): GDP में लगभग 25-30% का योगदान। इसमें विनिर्माण, निर्माण और उत्पादन शामिल हैं।
- कृषि क्षेत्र (Primary Sector): GDP में लगभग 16-18% का योगदान।
चुनौतियाँ और आगे की राह:
यह सच है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में दम है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं जिन पर ध्यान देना आवश्यक है:
- रोजगार सृजन: बढ़ती युवा आबादी के लिए पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करना।
- आय असमानता: आर्थिक विकास के लाभों को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना।
- बुनियादी ढांचा: ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा: मानव पूंजी के विकास के लिए इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना।
- जलवायु परिवर्तन: सतत विकास सुनिश्चित करते हुए पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना।
भारतीय अर्थव्यवस्था में निश्चित रूप से बहुत दम है। यह न केवल संख्याओं में परिलक्षित होता है, बल्कि इसकी अंतर्निहित शक्तियों – युवा आबादी, डिजिटल क्रांति, उद्यमिता की भावना और बढ़ते सेवा व विनिर्माण क्षेत्रों में भी स्पष्ट है। भारत अब वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण बिंदु है, जो अपनी गतिशीलता और विशाल संभावनाओं के साथ दुनिया को आकर्षित कर रहा है।
सही नीतियों, दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयासों से भारत आने वाले दशकों में आर्थिक महाशक्ति बनने के अपने लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त करेगा। यह सिर्फ एक अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि 1.4 अरब सपनों का देश है, जो आगे बढ़ने को बेताब है।