ऑपरेशन सिन्दूर के बाद हर मोर्चे पर घिरे पाकिस्तान की परिस्थिति का एक विश्लेषण…
हाल के दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गए हैं। भारत द्वारा किए गए तेज और सटीक हमलों के साथ-साथ एक गुप्त सैन्य अभियान — ऑपरेशन सिन्दूर — ने पाकिस्तान को कूटनीतिक, सामरिक और आंतरिक स्तर पर झकझोर कर रख दिया है।
पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 6-7 मई को ऑपरेशन सिन्दूर के तहत पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानो को ध्वस्त कर दिया जिसमे कई आतंकी मारे गएl
जिसके बाद बौखलाए पाकिस्तान के भारत पर लगातार हमले जारी हैं पर भारत के सशक्त रक्षा प्रणाली के कारण उसके सभी हमले विफल हुए और भारत की जवाबी कार्यवाही से पाकिस्तान में भरी तबाही हुई हैl यह लेख इस समूचे घटनाक्रम, रणनीति और उसके दूरगामी प्रभावों का विश्लेषण का एक प्रयास है।

ऑपरेशन सिन्दूर: भारत का एक पराक्रमी कदम
ऑपरेशन सिन्दूर, जिसे भारत सरकार ने गुप्त रखा था, का उद्देश्य सीमापार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में सक्रिय आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करना था। मीडिया रिपोर्ट्स और सैन्य सूत्रों के अनुसार:
- यह ऑपरेशन सीमित समय में, सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर किया गया।
- विशेष बलों (Special Forces) की टीमों ने रात के अंधेरे में गुप्त घुसपैठ कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया।
- ऑपरेशन के दौरान भारत को न्यूनतम हानि हुई जबकि पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुटों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
तेज हमलों की रणनीति: जवाब नहीं, कार्रवाई पहले
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपने रुख में बदलाव दिखाया है — अब भारत किसी उकसावे का जवाब केवल कूटनीतिक बयान से नहीं, बल्कि सैन्य कार्रवाई से देने की नीति पर चल रहा है। “सर्जिकल स्ट्राइक” और “बालाकोट एयर स्ट्राइक” की तर्ज़ पर, ऑपरेशन सिन्दूर इसी नीति का विस्तार प्रतीत होता है।
रणनीतिक उद्देश्य:
- पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को संरक्षण देने के ढांचे को ध्वस्त करना।
- भारत की सैन्य क्षमता और इच्छाशक्ति का प्रदर्शन।
- वैश्विक मंच पर यह संदेश देना कि भारत अब केवल रक्षात्मक नहीं है।
हर मोर्चे पर पाकिस्तान की फजीहत
भारत के इन कदमों से पाकिस्तान कई स्तरों पर घिर गया है:
- सैन्य मोर्चा:
- LOC पर तैनात पाकिस्तानी चौकियों को नुकसान पहुंचा।
- सीमा पर भारी तनाव, लेकिन भारतीय सेना की अग्रसक्रियता बनी हुई है।
- राजनीतिक मोर्चा:
- पकिस्तान की सरकार को देश में भारी आलोचना का सामना करना पड़ा।
- विपक्ष ने सेना और सरकार की “कठपुतली नीति” पर सवाल उठाए।
- कूटनीतिक मोर्चा:
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक छवि को उजागर किया।
- भारत ने FATF (Financial Action Task Force) एक बार फिर पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट” में डालने की मांग की है।
- आंतरिक मोर्चा:
- महंगाई, बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता से पहले ही जूझ रहे पाकिस्तान में जनता में रोष बढ़ा है।
- बलूचिस्तान और सिंध में अलगाववादी आंदोलनों को नया बल मिला है। बलूचिस्तान के लड़ाके लगातार पाकिस्तान की सेना को निशाना बना रहे हैंl
- वही तालिबान की TTP भी पाकिस्तान सेना पर लगातार हमले कर रही हैl
भारत की कूटनीति और सैन्य संतुलन
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में संयम और सटीकता का परिचय दिया है। जहाँ सैन्य कार्रवाइयों में स्पष्टता रही, वहीं कूटनीति के स्तर पर भी भारत ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित किया।
- अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे देशों ने भारत की आतंक के खिलाफ कार्रवाई को वैध आत्मरक्षा बताया।
- चीन ने तटस्थ रुख अपनाया, जो पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है।
निष्कर्ष: क्या आगे युद्ध के बादल?
युद्ध कोई भी देश नहीं चाहता, लेकिन आत्मरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि पाकिस्तान अपनी नीति में बदलाव नहीं करता, तो उसे और कड़े परिणाम भुगतने होंगे। ऑपरेशन सिन्दूर ने यह साबित कर दिया कि भारत अब न केवल सक्षम है, बल्कि तैयार भी है।