जीवन के कुछ रोचक और चौंकाने वाले अनजाने तथ्य…
हमारा जीवन में और हमारे आसपास बहुत कुछ घटित होता रहता है जिन्हें देखकर कभी कभी हम हैरान भी हो जाते है और सीखते भी है l आइये जानते है कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में जिन्हें आप शायद न जानते हों या जिन पर ध्यान न दिया हो l

बर्फ खाने की इच्छा: वैसे तो गर्मी में बर्फ या बर्फ से बनी चीज़ें खाना आम चलन है पर क्या आप ये अनजाने तथ्य जानते हैं बार बार बर्फ खाने की इच्छा हो रही हो तो ये शरीर में आयरन की कमी से भी हो सकता है l
सूर्य से उत्पन्न ध्वनि जो हम नहीं सुन सकते: ये बड़ा अनजाने सा और मनोरंजक तथ्य है कि सूर्य भी ध्वनि उत्पन्न करता है जो दबाव तरंगो के रूप में होती हैं l पर हम उसे सुन नहीं पाते! क्यों?
हम सूर्य की ध्वनि को इसीलिए नही सुन पाते क्योंकि पूरा अंतरिक्ष निर्वात है जिस वजह से वो ध्वनि तरंगे हम तक पहुँच नहीं पाती l
जहाँ रोमांच हो वहां ख़ुशी मिलती है: क्या कभी आपने ये इस अनजाने तथ्य को महसूस किया जब आप पहाड़ो पर जाते हैं या फन पार्क में बड़े बड़े झूलो में झूलते हैं या यात्रा करते हैं तो आपको आनंद का अनुभव होता है l यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि जब आप अपने दैनिक क्रियाकलापों से इतर कुछ रोमांचक करते है आनंद प्राप्त होता है l
संगीत आपको रुला भी सकता है: आप यह सुनकर चौंक जायेंगे कि संगीत रुला भी सकता है! अमूमन तो संगीत हमें मजा और मस्ती देता है l असल में संगीत से निकलने वाली तरंगे जब हमारे कानों से प्रविष्ट करती है तो हमारे भावों के साथ क्रियाएँ पैदा करती है l
अलग अलग तरह का संगीत अलग अलग भाव पैदा करता है जैसे कोई तेज धमाकेदार संगीत हो पर हम नाचने लगते l पर जब वो ही संगीत प्रार्थना या दर्द के भाव वाला होता है तो हम रो भी सकते हैं l
पानी गीला नहीं होता: अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या, पानी गीला नहीं होता? जी हाँ, दरअसल वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार किसी चीज को गीला होने के उसे किसी ठोस सतह का सहारा चाहिये पर पानी हमेशा ठोस सतह पर नहीं होता इसीलिए वो गीला भी नहीं होता l
मानव का मस्तिष्क 2.5 मिलियन जीबी डेटा स्टोर कर सकता है: अभी तक हमने कंप्यूटर या मोबाइल में स्टोर आने वाली स्टोरेज क्षमता के बारे में सुना है l पर जानते हैं हमारे मस्तिष्क की स्टोरेज क्षमता क्या है? वैज्ञानिक शोध में ये पता चला है की हमारा मस्तिष्क 2.5 मिलियन जीबी डेटा स्टोर कर सकता है अर्थात 128 जीबी वाले लगभग 20 हजार मोबाइल के बराबर l
हमारा दिमाग खुद को ही खाता है: घबराने की जरुरत नहीं, दरअसल हमारे दिमाग में माइक्रोग्लिया द्वारा एक क्रिया होती है जिससे मस्तिष्क की कोशिकायें ग्रे मैटर को बचाने के लिये न्यूरोन कोशिकायों को नष्ट कर देती है या यूँ कहें खा जाती हैं l हालाँकि यह प्रक्रिया हानिकारक नहीं है l
जानवरों का समय बोध इंसानों से अलग होता है: एक रिपोर्ट के अनुसार, जानवरों में समय के परिवर्तन को समझने का तरीका इंसानों से अलग होता है l जैसे वो दिन या रात को प्रकाश की स्थिति से समझते हैं l आसपास का परिवेश को वो ठंडे या गरम से महसूस करते हैं और आसपास के शोर को समझ लेते हैं कि वो तेज है या कम l
अंटार्कटिका और मंगल ग्रह का पर्यावरण लगभग एक जैसा है: पृथ्वी का सातवाँ महाद्वीप है अंटार्कटिका जो की काफी ठंडा है वहां बर्फ की मोटी चादरें और शुष्क तापमान ठीक वैसा ही है जैसा कि मंगल ग्रह का l तो आप मंगल ग्रह नहीं जा सकते तो अंटार्कटिका से ही मंगल ग्रह को समझ सकते हैं l
पृथ्वी के घुमने की गति बदल रही है: हम सब यह तो जानते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घुमती है पर क्या आपको पता है कि पृथ्वी के धुरी पर घूमने की औसत गति में हर साल परिवर्तन हो रहा है l साल डर साल के परिवर्तन के परिवर्तन के परिणामस्वरूप भविष्य में दिन लबे होते जायेंगे और रातें छोटी l
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