12वीं के बाद हर छात्र के मन में एक सवाल आता है – क्या करूं? कुछ सफल होते हैं, तो कुछ को असफलता का सामना करना पड़ता है। असफलता, जैसा कि एक लेखक ने कहा है, यह दर्शाती है कि सफलता के प्रयासों में कहीं कमी रह गई। इसी कमी को पूरा करने के लिए कई छात्र “ड्रॉप” लेने का निर्णय लेते हैं – यानी एक साल का ब्रेक लेकर फिर से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना।
यह निर्णय उन छात्रों के लिए आम है जो अपने पहले प्रयास में वांछित परिणाम प्राप्त नहीं कर पाते या जिन्हें लगता है कि उन्हें तैयारी के लिए और समय चाहिए। लेकिन क्या यह ड्रॉप लेना हमेशा उचित है? किसे ड्रॉप लेना चाहिए और किसे नहीं? और यदि ड्रॉप लिया जाए, तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इन सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना अत्यंत आवश्यक है।
ड्रॉप क्यों लिया जाता है?
छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ड्रॉप लेते हैं, जैसे:
- NEET (मेडिकल)
- JEE (इंजीनियरिंग)
- NIFT (फैशन डिजाइनिंग)
- NATA (आर्किटेक्चर)
- NDA (रक्षा सेवा)
- CUET (केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश)
- CLAT (कानून)
- CAT (मैनेजमेंट)
- और भी कई अन्य।
ड्रॉप किसे लेना चाहिए?
ड्रॉप लेने का निर्णय भावनात्मक नहीं, बल्कि पूरी तरह से विचारपूर्वक होना चाहिए। यह आपके करियर का एक महत्वपूर्ण वर्ष होता है। इसलिए, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपको माता-पिता या रिश्तेदारों के कहने पर, दोस्त के ड्रॉप लेने के कारण, या पिछले एग्जाम में कम नंबर आने के कारण ड्रॉप नहीं लेना चाहिए। यदि आप पिछले वर्ष से अधिक मेहनत करने को तैयार हैं, तभी ड्रॉप का विकल्प चुनें।

ड्रॉप लेने के मापदंड:
ड्रॉप लेने से पहले इन बातों पर गहराई से विचार करें:
- स्पष्ट लक्ष्य (Clear Goal): आपको क्या हासिल करना है, इस बारे में पूरी स्पष्टता होनी चाहिए। केवल यह सोचना कि “मुझे NEET या JEE क्लियर करना है” पर्याप्त नहीं है। आपको उस परीक्षा को क्लियर करने के लिए लगने वाले समय, मेहनत, आवश्यक रैंक और नंबरों का भली-भांति ज्ञान होना चाहिए, और इसके लिए मानसिक रूप से भी पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए।
- पिछले अंकों का मूल्यांकन (Assessment of Previous Scores): पिछले प्रयास में प्राप्त अंकों और प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए आवश्यक अंकों के बीच के अंतर का आकलन करें। खुद से ये सवाल पूछें:
- “क्या इस साल के प्रयास से यह अंतर कम हो पाएगा?”
- “पिछले साल जो गलतियाँ की थीं, उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है?”
- “क्या मैं आवश्यक मेहनत कर पाऊंगा?”
- “क्या पूरी तरह से ड्रॉप लेने के बजाय, अगर मैं पार्शियल ड्रॉप लेकर (किसी कॉलेज में एडमिशन लेकर) तैयारी करता हूं, तो क्या मैं सफल हो पाऊंगा?” इन सभी बातों पर विचार करने के बाद ही ड्रॉप लेने का निर्णय लें।
- सही योजना (Proper Planning): अक्सर देखा गया है कि ड्रॉप लेने वाले छात्र स्कूल नहीं जाते और केवल कोचिंग सेंटर जाते हैं। कुछ तो कोचिंग भी नहीं जाते। लेकिन उनके साथी या तो परीक्षा क्लियर करके एडमिशन ले लेते हैं या किसी अन्य विषय में प्रवेश ले लेते हैं। इसलिए, ड्रॉप लेते समय एक सही योजना बनाना और उसका अनुशासनपूर्वक क्रियान्वयन करना अत्यंत आवश्यक है। अभ्यास में अनुशासित रहें, चार्ट्स और माइंड मैप्स का उपयोग करके पढ़ाई करें।
- स्व-प्रेरणा और मानसिक स्वास्थ्य (Self-Motivation and Mental Well-being): आपको उसी परीक्षा के लिए फिर से मेहनत करनी है जिसमें आप असफल रहे थे। इस कारण से, आपको शांत मस्तिष्क और स्व-प्रेरणा के माध्यम से परीक्षा की तैयारी करनी होगी। मानसिक रूप से मजबूत रहना बेहद ज़रूरी है।
ड्रॉप या रिपीट हर छात्र के लिए सही विकल्प नहीं है। प्राप्त अंकों और अपनी स्वयं की मेहनत का आकलन करके ही निर्णय लेना चाहिए। यदि संभव हो, तो वैकल्पिक पाठ्यक्रमों का चयन करके भविष्य की राह पर आगे बढ़ना चाहिए। कभी-कभी ये वैकल्पिक पाठ्यक्रम उन्नति के नए द्वार खोलते हैं।
योग्य कारण, आत्मनिरीक्षण, स्पष्ट उद्देश्य, योग्य तैयारी, उचित मार्गदर्शन, स्वयं की मेहनत का आकलन और मानसिक योग्यता को ध्यान में रखते हुए ही ड्रॉप लेने का निर्णय लेना चाहिए।
इसके साथ ही, अपनी वित्तीय स्थिति और समय को ध्यान में रखते हुए एक ‘प्लान बी’ (वैकल्पिक योजना) भी तैयार रखना चाहिए। याद रखें, यह एक निवेश है – आपके समय और ऊर्जा का निवेश, जिसे सही दिशा में लगाना महत्वपूर्ण है।