महिमा महाशिवरात्रि की…

इस महाशिवरात्रि काशी में बाबा विश्वनाथ भक्तो को देंगे 46 घंटे दर्शन..

इस वर्ष 26 फरवरी (बुधवार) को महाशिवरात्रि हैl वैसे तो शिवरात्रि हर मास को होती है l प्रत्येक मास को अमावस्या के ठीक एक दिन पहले अर्थात चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि होती है लेकिन पूरे वर्ष में एक मास की शिवरात्रि, महाशिवरात्रि कहलाती है जो कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में होती है और अंग्रेजी कैलेडर के अनुसार फरवरी या मार्च माह में ये होती है l इस दिन मनुष्य के भीतर की उर्जा प्राकृतिक रूप से उभर जाती है और ये उर्जा उसे आध्यात्म के शीर्ष पर पहुँचने में सहयोग करती है l

महाशिवरात्रि

इस विशेष दिन के समय को श्रद्धालु अवसर के रूप में देखते हैं और पूरी रात्रि भक्ति भाव में डूबे रहते हैं l महाशिवरात्रि का महत्त्व सबके के लिए अलग अलग है, पारिवारिक लोग महाशिवरात्रि को भगवान् शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाते हैं l सांसारिक लोग इस दिन को भगवान शिव द्वारा शत्रुओ पर विजय दिवस के रूप में मनाते हैं l जो साधक है वो इस दिन को साधना के विशेष मानते हैं l वे मानते हैं कि इस दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत के साथ एकात्म और पर्वत की तरह स्थिर व निश्छल हो गए थे l इस तरह इस दिन अलग अलग धारणाओ के साथ मनाया जाता है l

महाशिवरात्रि के दिन सर्वाधिक अँधेरा होता है तो साधको और सकारात्मक विचार वाले व्यक्तियों द्वारा इस दिन को अँधेरे से प्रकाश की और जाने के प्रेरक के रूप में लिया जाता है l माना जाता है कि शिव का अर्थ है ‘जो नही’, अर्थात वो जो होकर भी नहीं है, वो साकार है, वो निरंकार है, वो निर्गुण है, वो सगुण है, शिव अनंत है l आज का विज्ञानं भी मानता है कि सब कुछ शून्य से प्रारंभ होकर अंत में शून्य में ही समां जाता है l

अंधकार व्यापक है सर्वत्र है जबकि प्रकाश सीमित है जिसके किसी भी तरह रोका जा सकता है l प्रकाश शाश्वत नहीं है किन्तु हमें फिर भी अंधकार में सदैव प्रकाश कि तलाश रहती है l प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य को माना जाता है परन्तु अंधकार का कोई स्रोत नहीं है वह स्वयं ही एक स्रोत है l बस इसी अवधारणा के हम जान सकते है कि ‘शिव’ क्या हैं! हमारे आस्तित्व के चारो ओर जो असीम रिक्तता है जिसमे हम एक दिन विलय हो जाते हैं, उसी रिक्तता की गोद का नाम है ‘शिव’ l सनातन दर्म में अनेक ऐसी प्रार्थनाये जो ईश्वर से अपने नाश के लिए कि जाती है, इसमें ईश्वर से प्रार्थना की जाती है कि ‘हे, हमारे इस भौतिक आस्तिव को नष्ट करके अपनी ही भांति बना ले l

भारत में महाशिवरात्रि बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है l शिव मंदिरों में पूरी रात्रि भक्ति भाव से श्रद्धालु शिव भक्ति में खोये रहते है l देश के सभी ज्योतिलिंगो में इस दिन विशेष आयोजन किये जाते हैं l शिव के विवाह के दिन के रूप में जाने वाले इस दिन में भक्तो का उल्लास देखते ही बनता है l अनेक जगह शिव बारात भी निकाली जाती है और उस बारात में लोग बड़े उत्साह के साथ शिव भक्ति में नाच व गाना करते हैं l

इस महाशिवरात्रि को काशी में बाबा विश्वनाथ 46 घंटे दर्शन देंगे!
बाबा विश्वनाथ कि नगरी काशी इस बार महाशिवरात्रि के ऐतिहासिक और भव्य आयोजन के लिए तैयार हो गई है l इस महाशिवरात्रि पर पहली बार ऐसा होगा कि बाबा विश्वनाथ लगभग साढ़े 46 घंटे भक्तो को दर्शन देंगे l 26 फरवरी प्रातः से 28 फरवरी को रात 1 बजे बाबा विश्वनाथ के दर्शन जारी रहेंगे l इस बार बाबा के विश्राम का समय सिर्फ डेढ़ घंटे का होगा l इस दिन रात्री 8 बजे तक बाबा के विवाह की रस्में पूरी कर ली जायेंगी और इस दिन श्रृगार आरती भी नहीं होगी l
शिव बारात में बारातियों पर संगम के जल का छिडकाव होगा l बस अंतर इतना होगा कि इस बार शिव बारात 26 की जगह 27 फरवरी को निकली जायेगी क्योंकि काशी में इस बार श्रधालुयों कि संख्या बहुत अधिक होगी l

महाशिवरात्रि

महाकुंभ की वजह से काशी में हर वक्त लगभग 5 से 7 लाख श्रद्धालु रहते हैं और माना जाना रहा है कि महाशिवरात्रि के दिन ये आंकड़ा 20 लाख तक पहुँच सकता है, इसीलिए पूरे शहर में 25 फरवरी की शाम से ही वाहनों कि एंट्री बैंड कर दी जायेगी l वीआईपी दर्शन भी बंद रहेंगे l



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