13 मार्च को होलिका दहन होगा और 14 मार्च को रगों से होगी होली
भारत में होली का त्यौहार सबसे उल्लास वाले त्योहारों में से एक है l पूरे देश में होली के त्यौहार की धूम रहती है l घर-घर में तरह तरह के पकवान बनते हैं, होलिका दहन के पश्चात दूसरे दिन लोग रंगों की होली खेलते हैं l इस बार होलिका दहन गुरुवार 13 मार्च को है l इस दिन में होलिका दहन किस समय पर करना है और क्या होता है होलाष्टक? आइये जानते हैं…

होली पूजन का मुहूर्त
हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025, गुरुवार यानी आज है। कई जगहों पर होलिका की पूजा सुबह के साथ की जाती है और कई स्थानों पर शाम के समय होती है। होलिका पूजन का विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ हो चुका है। इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया होने के कारण होलिका दहन व पूजन के समय को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है।
होलिका दहन कितने बजे से कितने बजे तक कर सकते हैं:
ज्योतिषाचार्य के अनुसार विक्रमीय संवत 2081 को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 13 मार्च को सूर्योदय से लेकर 10:35 तक रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। भद्रा करण, सुबह 10:35 से रात्रि 11:26 तक रहेगा। होलिका दहन 13 मार्च रात्रि 11:26 के बाद होगा। दहन का मुहूर्त रात्रि 11: 26 से रात 12:18 तक रहेगा।
होलिका पूजन के शुभ मुहूर्त:
अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:07 से 12:55 बजे तक
विजय मुहूर्त दोपहर 2:30 से 3:18 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 6:26 से 6:50 बजे तक
निशिता मुहूर्त रात 12:06 से 12:54 बजे तक
14 मार्च को होगी रंग वाली होली:
14 मार्च 2025 को स्नान दान की पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रयुता परम पुण्यदायिनी फाल्गुनी पूर्णिमा दोपहर 12:23 तक रहेगी। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा प्रारंभ होगी। 14 मार्च को दोपहर के बाद रंग वाली होली रहेगी। 15 मार्च को प्रतिपदा सूर्योदय के समय व्याप्त रहेगी। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि, 15 मार्च शनिवार को सूर्योदय से दोपहर 02: 33 मिनट तक रहेगी

क्या है होलाष्टक?
होलाष्टक फाल्गुन मास के अष्टमी से शुरू होता है पूनम दिन होलिका दहन के साथ समाप्त होती है ।
होलाष्टक से ले कर पूनम तक हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कई यातनाये दी थीं । आठवें दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद ली । होलिका को यह वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी, ऐसे में होलिका भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई । लेकिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद से प्रह्लाद को अग्नि जला नहीं सकी, बल्कि होलिका इस अग्नि में जलकर भस्म हुई । यह सारी घटना उन्हीं आठ दिनों में हुई थी । जिन्हें होलाष्टक के नाम से जाना जाता है ।
इस आठ दिनों की अवधि को अशुभ माना जाता है । इस अवधि में किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है ।
होलाष्टक में वर्जित कार्य :
1. विवाह करना ।
2. वाहन खरीदना ।
3. घर खरीदना ।
4. भूमि पूजन ।
5. गृहप्रवेश ।
6. 16 संस्कार ।
7. यज्ञ, हवन या होम ।
8. नया व्यापार शुरु करना ।
9. नए वस्त्र या कोई वस्तु खरीदना ।
10. यात्रा करना ।
होलाष्टक के वक्त लोगों को सदाचार और संयम का पालन करना चाहिए । इसके अलावा इन दिनों में भगवान को याद करके मंत्र जप, साधना और आध्यात्मिक कार्य करना चाहिए । इस समय के अवधि साधना और सिद्धि के लिए काफी अनुकूल माना गया है ।
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