ITR फाइल करने के लिये आयकर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (निर्धारण वर्ष 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने के नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
ITR फाइल करने के लिये आयकर विभाग ने वित्तवर्ष 2024 -25 के लिए, आईटीआर-1 और आईटीआर 4 फॉर्म के लिए फाइलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। वेतनभोगी, पेंशनर्स, लघु व्यापार मालिक और फ्रीलेन्सर ऑनलाइन टैक्स रिटर्न दायर कर सकते हैं।
ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि में विस्तार:
- गैर-ऑडिट वाले करदाताओं के लिए ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दी गई है।
- विलंबित (belated) और संशोधित (revised) रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2025 है।
- अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) दाखिल करने की समय सीमा को संबंधित निर्धारण वर्ष के अंत से 2 साल से बढ़ाकर 4 साल कर दिया गया है।
- निर्धारण वर्ष 2024-25 से नई कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट विकल्प बन गई है। इसका मतलब है कि यदि आप किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प नहीं चुनते हैं, तो आपको स्वचालित रूप से नई कर व्यवस्था में माना जाएगा।
ITR फॉर्म में बदलाव :
- ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) यूटिलिटी जारी: आयकर विभाग ने निर्धारण वर्ष 2025-26 के लिए ITR-1 और ITR-4 के लिए एक्सेल यूटिलिटी जारी कर दी है। अब ऑनलाइन फाइलिंग भी सक्षम कर दी गई है।
- स्वचालित सत्यापन: अब विभाग द्वारा कई सत्यापन स्वचालित कर दिए गए हैं, जिससे रिटर्न प्रोसेसिंग तेज होगी।
इससे पहले करदाताओं को ITR से संबंधित नए नियमों की जानकारी होनी चाहिए। ज्यादातर बदलाव उन टैक्सपेयर्स के लिए हुए, जिन्होनें लोन लिया है या इनकम का सोर्स वेतन है।
वेरिफिकेशन नियमों में भी बदलाव हुआ हुआ है। विशेषज्ञों की माने तो यह आईटीआर की प्रक्रिया के दौरान कटौती के झूठे दावा को खत्म करने के लिए उठाया गया है। इससे गलतियों की संभावना भी कम होगी है। प्रोसेस पहले से तेज हो सकता है।

क्या हैं वो मुख्य बदलाव जिन्हें जानना जरूरी है?
धारा 80सी की कटौती- अब सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन (पीएफ, टैक्स सेविंग एफडी, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी इत्यादि के लिए) का दावा करने के लिए टैक्सपेयर्स को दस्तावेज पहचान संख्या का खुलासा करना होगा।
धारा 80डीडीबी- इसके तहत निर्दिष्ट रोगों के ईलाज के लिए कर कटौती का दावा करने के लिए निर्दिष्ट रोग का नाम और अन्य जानकारी का उल्लेख करना होगा।
गृह किराया भत्ता (एचआरए)- इस छूट को क्लेम करने वाले लोगों को व्यापक जानकारी देनी होगी। इसमें काम की जगह, वास्तविक भुगतान किया गया किराया, वास्तविक प्राप्त एचआरए, मूल वेतन और डीए के साथ मूल वेतन का 50% या 40% (मेट्रो या नॉन मेट्रो सिटी पर निर्भर करता है) शामिल हैं।
धारा 80D- इसके तहत स्वास्थ्य बीमा वितरण चिकित्सा या स्वास्थ्य बीमा के लिए कर कटौती का दावा करने वाले टैक्सपेयर्स को बीमा कंपनी का नाम और पॉलिसी या दस्तावेज की संख्या जैसी जानकारी देनी होगी।
धारा 80ईईबी- इसके तहत ईवी व्हीकल लोन ब्याज इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद के लिए लोन पर चुकाये गए इंटरेस्ट के लिए टैक्सपेयर्स को ऋणदाता का नाम, बैंक का नाम, लोन अकाउंट नंबर, ऋण स्वीकृति तिथि, कुल लोन अमाउन्ट और 31 मार्च तक बकाया लोन जैसी जानकारी देनी होगी।
धारा 80ईई या 80ईईए– इसके तहत होम लोन पर ब्याज आवासीय गृह संपत्ति के लिए ब्याज कटौती के लिए ऋणदाता का नाम, लोन अकाउंट संख्या, लोन स्वीकृत तिथि, कुल लोन अमाउन्ट और 31 मार्च तक बकाया लोन जैसी जानकारी का खुलासा करना होगा।
धारा 80ई- इसके तहत एजुकेशन लोन के लिए एजुकेशन लोन पर भुगतान किए गए ब्याज पर कटौती के लिए अब ऋणदाता का नाम, लोन अकाउंट संख्या, लोन स्वीकृत तिथि, कुल लोन अमाउन्ट, लोन का ब्याज और 31 मार्च तक बकाया लोन जैसी जानकारी अनिवार्य होगा।
किन लोगों के लिए होता है ITR-1 और ITR 4?
- ITR-1 (सहज): ऐसे निवासी व्यक्ति (एनआरआई और अनिवासी साधारण व्यक्ति को छोड़कर) जिनकी कुल आय ₹50 लाख तक है और आय वेतन/पेंशन, एक गृह संपत्ति और अन्य स्रोतों (जैसे ब्याज) से है, और कृषि आय ₹5,000 तक है
- ITR-4 (सुगम): ऐसे निवासी व्यक्ति, HUF और फर्म (LLP को छोड़कर) जिनकी कुल आय ₹50 लाख तक है और आय व्यवसाय या पेशे से अनुमानित आधार पर (धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत) है, वेतन/पेंशन, एक गृह संपत्ति और कृषि आय (₹5,000 तक) से भी आय है।
महत्वपूर्ण नोट:
विस्तृत जानकारी के लिए आप आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (incometaxindia.gov.in) पर जा सकते हैं और नवीनतम दिशानिर्देशों और FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) की जांच कर सकते हैं।
यह हमेशा सलाह दी जाती है कि आप अपनी विशिष्ट आय और स्थिति के आधार पर सही ITR फॉर्म का चयन करें।