PMFME-प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में असीमित संभावनाएं मौजूद हैं। हालांकि, इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा असंगठित और सूक्ष्म उद्यमों से मिलकर बना है, जिन्हें अक्सर वित्तीय, तकनीकी और विपणन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों का समाधान करने और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को औपचारिक बनाने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने “प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना” (PM Formalisation of Micro Food Processing Enterprises – PMFME Scheme) की शुरुआत की है।
आत्मनिर्भर भारत का आधार
यह योजना ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका लक्ष्य स्थानीय उत्पादन, स्थानीय विपणन और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करके भारत को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लोकल फॉर वोकल’ के आह्वान को साकार करते हुए, PMFME योजना छोटे और मझोले उद्यमियों को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है।
योजना के प्रमुख उद्देश्य और लक्ष्य:
PMFME योजना का मुख्य उद्देश्य मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करना है। इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
- असंगठित क्षेत्र का औपचारिकीकरण: सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाना, जिससे वे सरकारी योजनाओं और वित्तीय संस्थाओं से बेहतर लाभ उठा सकें।
- प्रतियोगितात्मकता में वृद्धि: इकाइयों की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार करके उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना।
- मूल्यवर्धन और अपव्यय में कमी: खाद्य उत्पादों के मूल्यवर्धन को बढ़ावा देना और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना।
- किसानों की आय में वृद्धि: किसानों को अपने उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करना।
- रोजगार सृजन: खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर पैदा करना।
- क्षमता संवर्धन: उद्यमियों को प्रशिक्षण, कौशल विकास और तकनीकी जानकारी प्रदान करना।
- विपणन और ब्रांडिंग सहायता: उत्पादों के विपणन और ब्रांडिंग में मदद करना ताकि वे व्यापक बाजारों तक पहुंच सकें।
‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) दृष्टिकोण:
इस योजना की एक अनूठी विशेषता ‘एक जिला एक उत्पाद‘ (ODOP) दृष्टिकोण है। इसके तहत, प्रत्येक जिले के लिए एक विशेष खाद्य उत्पाद की पहचान की जाती है, जिसके उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जाता है। यह दृष्टिकोण निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
- सामूहिक विकास: एक ही प्रकार के उत्पाद पर ध्यान केंद्रित करने से सामूहिक विकास को बढ़ावा मिलता है और समान सेवाओं, उपकरणों और विपणन की पहुंच आसान होती है।
- विशेषज्ञता और ब्रांडिंग: जिले को उस विशेष उत्पाद के लिए एक पहचान मिलती है, जिससे उसकी ब्रांडिंग और विपणन में सहायता मिलती है।
- बेहतर आपूर्ति श्रृंखला: विशिष्ट उत्पाद पर ध्यान केंद्रित करने से कच्चे माल की खरीद और तैयार उत्पादों के वितरण के लिए एक सुव्यवस्थित आपूर्ति श्रृंखला का विकास होता है।
- संसाधनों का इष्टतम उपयोग: उपलब्ध संसाधनों और बुनियादी ढांचे का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होता है।

योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ:
PMFME योजना विभिन्न घटकों के माध्यम से लाभार्थियों को सहायता प्रदान करती है:
- क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी: सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को परियोजना लागत का 35% क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी के रूप में मिलता है, जिसकी अधिकतम सीमा ₹10 लाख प्रति इकाई है। लाभार्थी को न्यूनतम 10% योगदान देना होता है, और शेष राशि बैंक ऋण के माध्यम से उपलब्ध होती है।
- स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सहायता: स्वयं सहायता समूहों को बीज पूंजी (seed capital) और क्षमता निर्माण के लिए सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों में संलग्न हो सकें।
- कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट: सामान्य बुनियादी ढांचे, जैसे कि कॉमन प्रोसेसिंग सुविधाएं, प्रयोगशालाएं, वेयरहाउसिंग और कोल्ड स्टोरेज के विकास के लिए सहायता।
- ब्रांडिंग और विपणन सहायता: चयनित ODOP उत्पादों के लिए ब्रांडिंग और विपणन सहायता, जिसमें पैकेजिंग, लेबलिंग और बाजार तक पहुंच शामिल है।
- क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के मालिकों और कर्मचारियों के लिए कौशल विकास, तकनीकी प्रशिक्षण और खाद्य सुरक्षा मानकों पर कार्यशालाएं।
पात्रता मापदंड:
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ बुनियादी पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- आवेदक भारतीय निवासी होना चाहिए।
- न्यूनतम शैक्षिक योग्यता कक्षा 8वीं पास हो।
- एक परिवार से केवल एक व्यक्ति ही वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र होगा।
- मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां या नई इकाइयां जो ODOP उत्पाद से संबंधित हों, वे पात्र हैं।
आवेदन प्रक्रिया:
इच्छुक उद्यमी योजना की आधिकारिक वेबसाइट pmfme.mofpi.gov.in पर ऑनलाइन पंजीकरण कर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, विस्तृत जानकारी के लिए जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय या संबंधित जिला संसाधन व्यक्तियों (District Resource Persons – DRPs) से संपर्क किया जा सकता है। DRPs उद्यमियों को DPR (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने और बैंक ऋण प्राप्त करने में सहायता प्रदान करते हैं।
सफलता और भविष्य की संभावनाएं:
मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने PMFME योजना के क्रियान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाई है, जहां बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयों को बैंकों द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है। कई सूक्ष्म उद्यमियों ने इस योजना के माध्यम से अपने व्यवसायों का उन्नयन किया है, नई मशीनरी स्थापित की है, उत्पादन क्षमता बढ़ाई है और रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं। रोस्टेड सोया नट्स, दाल मिल और डेयरी उत्पादों जैसी विभिन्न इकाइयों ने इस योजना का लाभ उठाकर अपनी व्यावसायिक यात्रा को मजबूत किया है।
PMFME योजना भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एक क्रांति लाने की क्षमता रखती है। यह न केवल छोटे उद्यमियों को सशक्त बनाएगी, बल्कि कृषि उपज के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करेगी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और भारत को वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाएगी। यह योजना वास्तव में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।