आखिर क्यों होता कुंभ मेले का आयोजन 12 वर्ष में ?
कुंभ का मेला जनवरी माह में प्रयागराज में लगने जा रहा है| पौराणिक कथाओ के अनुसार जब समुद मंथन हुआ था तब देवता असुरो से अमृत को बचाने के लिए भागे इस दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी तभी इन स्थानों का धार्मिंक महत्त्व बढ़ गया और यहाँ कुंभ मेले का आयोजन किया जाने लगा | इस आयोजन इस उद्देश्य से किया जाता है कि श्रद्धालुओ को पापो से मुक्ति मिले और मोक्ष की प्राप्ति हो, ऐसी मान्यता है इन चार स्थानों की पवित्र नदिया – गंगा,यमुना, गोदावरी और क्षिप्रा में कुंभ के दौरान स्नान करने से आत्मा कि शुद्धि होती है| कुंभ मेले की तिथि खगोलीय घटनाओ पर आधारित होती है, जब वृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में और सूर्य मकर राशि में तब कुंभ मेला आयोजित होता है | इस खगोलीय घटना में बारह वर्ष का समय लगता इसीलिए कुंभ मेले का आयोजन बारह वर्ष के अन्तराल में होता है |
इस बार का का कुंभ मेला 12 वर्ष पश्चात 13 जनवरी से प्रयागराज में आयोजित होगा | अनेक हिन्दू श्रद्धालुओ को इसका प्रतीक्षा थी क्योंकि हिन्दू धर्म में इस मेले को अत्यंत पवित्र माना गया है

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