खाने पीने की जरूरत 1 टैबलेट से ही पूरी होगी?

लखनऊ स्थित शोध संस्थान इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च में एक आपातकालीन आहार टैबलेट(गोली) में रूप में विकसित किया है जिसे ‘एनफिट’ और ‘मिलफिट’ नाम दिया है। इन टैबलेट को 2 साल में ज्वार, बाजरा, कोदो, रागी और कुटकी, रागी और कुटकी से मिलाकर बनाया गया है

टैबलेट

अभी तक इस तरह का कोई खाना उपलब्ध नहीं था जो आपातकालीन स्थितियों में उपयोग किया जा सके। इसी जरूरत को देखते हुए इन टैबलेट्स को बनाने का आइडिया आया और 2 साल की शोध तथा जांच के पश्चात ये बन सकी।

यह टैबलेट अलग-अलग तरह के मोटे अनाजों (मिलेट्स) से बनी है। विशेष सब्जियों की निगरानी में इसे पूरे शोध के साथ विशेष तरीके से बनाया गया है। इसमें शरीर लिए जरूरी कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट जैसे मैक्रो न्यूट्रिएंट्स और विटामिन व मिनरल्स जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट्स को संतुलित रखा गया है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी है जिससे शरीर में स्फूर्ति के साथ रिकवरी भी आसानी से हो। इन गोलियों को भी दूसरी आम गोलियां की तरह आसानी से खाया जा सकेगा और इन्हें लंबे समय तक स्टोर करके भी किया जा सकेगा।

ये टेबलेट कहाँ उपयोग में आयेंगी?
इन्हें आपात परिस्थितियों जैसे बाढ़, भूकंप या तूफान में खाने के विकल्प के तौर पर खास तरीके से बनाया गया है क्योंकि इन परिस्थितियों में अमूमन खाना पहुंचने में बहुत कठिनाई होती है। इसके अलावा सेना के जवान और कठिन खेल जैसे मैराथन आदि खेलों में खिलाड़ी इसका उपयोग कर सकेंगे साथ ही अंतरिक्ष यात्री भी इसे खाने के विकल्प के रूप में ले जा सकेंगे। भविष्य में इन गोलियों को आम लोगों के लिए भी उपलब्ध करवाने की योजना है।

क्या ये गोलियां खाने पीने का विकल्प हैं ?
इन टैबलेट्स को अभी आपात परिस्थितियों में खाने खाने की आवश्यकता को पूरा के लिये खाने के विकल्प के रूप में तैयार किया गया है। इसलिए आमतौर पर इन्हें अभी खाने -पीने का विकल्प नहीं माना जा सकता।

अभी इन गोलियों का प्रोटोटाइप जारी किया गया है। आवश्यक सभी वैधानिक अनुमति मिलने के बाद भविष्य में इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके लिए सरकारी तथा निजी कंपनियों से बात चल रही है। फिलहाल कीमत तय नहीं हुई है।

*खबर स्रोत: दैनिक भास्कर

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