कैसे तैयार होता है बजट?

1 फरवरी को वित्त मत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी l बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है और कल यानि 1 फरवरी को संसद में नए वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया जायेगा l सभी लोगो कि निगाहे बजट पर टिकी रहती हैं और सबकी अपनी अपनी उम्मीदें भी बजट से से जुडी होती है l हमारे घर के महीने भर के आय व्यय के लेखा-जोखा कि तरह ही सरकार का बजट भी होता जिसमे सरकार साल भर की आय और व्यय का ब्यौरा बजट में प्रस्तुत करती है और विभिन्न विभागों को आवंटित बजट अनुसार ही विभाग खर्च कर पाते हैं l


जैसा हम उम्मीद करते हैं कि हमारी आय ज्यादा हो और व्यय कम उसी तरह सरकार की भी कोशिश होती है कि सरकार कि आय में वृद्धि हो उतना अच्छा सरकार l सरकार अपनी आय को रेवेन्यु में आंकती है और सरकार का रेवेन्यू टैक्स आदि से होने वाली कमाई से आता है l सरकार चाहती है रेवेन्यु जितना अधिक हो उतना अच्छा और वेतन/पेंशन आदि में जाने वाले खर्च जितने कम हो उतना बेहतर l सरकार भी हमारी तरह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर खर्च करना ज्यादा पसंद करती जिससे वो भविष्य में सरकार कि आय का साधन बन सके l

बजट बनाने की प्रक्रिया
बजट तैयार करने लगभग 6 महीने का वक्त लग जाता है l सितम्बर के महीने में एक सर्क्युलर जारी किया जाता है और सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशो और विभागों से उके अलगे एक साल आवश्यक फंड का ब्यौरा माँगा जाता है l फिर इसके बाद सरकार कुल फंड का गणना करने के बाद यह तय करती है कि किसको कितने फंड का आवंटन किया जाये l वैसे तो हर विभाग और मंत्रालय अपने अधिक से अधिक बजट की मांग करते हैं पर वित्त मंत्रालय ही अंतिम रूप से तय करता है कि किसे कितना फंड मिलेगा l बजट बनाने वाली टीम लगातार वित्तमंत्री, प्रधानमंत्री और निति आयोग संपर्क में रहती है l बजट बनाने के लिए उद्योग, व्यापार एवं वित्त के जानकारों से भी सलाह ली जाती है l

संसद में पेश किया जाता है बजट!
पूरा बजट तैयार होने पश्चात् वितमंत्री संसद के बजट सत्र में इस बजट को प्रस्तुत करती हैं l चूँकि सरकार विभिन्न माध्यमो से एकत्र फण्ड को एक ‘समेकित – कोष’ में रखती है और ये फंड जनता का होता है इसीलिए इसकी आय और व्यय की जानकारी जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के सामने संसद में दी जाती है l