हमारा बदलता खानपान का प्रभाव!

Khanpan
भारतीय खाना हज़ारों सालों पुराना है. यह देश की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है. भारत में कई तरह के भोजन होते हैं, जिनमें शामिल है – मसाला डोसा, अनेको मिठाइयाँ, दाल मखनी, पापड़ी चाट, पालक पनीर, बिरयानी, राजमा चावल, मसाला चाय, बर्फ़ी, पराठा, नान l पिछले कई वर्षों में हमारी खानपान के तौर तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। अब खान पान क्षेत्रीय नहीं रह गए हैं जैसे इडली, डोसा, साँभर आदि अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं रह गए हैं I ये लगभग भारत के भी हर शहर/कस्बे में उपलब्ध हैं, उसी तरह उत्तर की ‘ढाबा’ कल्चर लगभग पूरे देश में फैल चुका है। रोटी-दाल-साग तो प्राय: सभी जगह उपलब्ध है।
लेकिन सबसे बड़ा बदलाव आया है ‘फ़ास्ट फ़ूड’ में, बर्गर, पिज्नूजा और नूडल्स’ ने गहरी पैठ बना ली है छोटे छोटे कस्बो में भी इनकी मांग और उपलब्धता हो गई हैI इसी तरह पहले से पैक किया हुआ खाने का चलन भी बहुत बढ़ गया है, आलू चिप्स, मूंगफल्ली, विभिन्न प्रकार के नमकीन और बहुत से आइटम पाउच पैक में गली गली की दुकानों पर उपलब्ध हैं I इसी प्रकार गुजरात के व्यंजन और बंगाल की मिठाई भी अब देश व्यापी हो गई हैI ब्रेड जो कुछ वर्ष पहले तक केवल संभ्रांत परिवारों तक सीमित थी वो अब घर-घर में नाश्ते की पहली पसंद बन चुकी है I
क्षेत्रो का पारंपरिक खानपान अब नहीं रहा वरन खानपान में मिश्रित संस्कृति स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी हैI इसका एक कारण ये भी समझ आता है कि अब जिंदगी में बहुत भागमभाग हो गई है लोग जल्दी से बिना झंझट के खाने चीजे चाहते हैं वो भी विविधता के साथ I
ऐसे खानपान का चलन बढ़ा है जो झटपट से तैयार हो जाती हैI इन सब के बावजूद भी समोसा, आलूबड़ा, चाट, फुलकी अपना स्थान बनाये हुए हैं और बहुत से लोगो की झटपट भोजन में पहली पसंद भी हैंI
शहरो/कस्बो में लोग कामकाज और नौकरी की आपाधापी में पहले की तरह घर पर हर तरह के खाना तैयार नहीं कर पाते, एक वजह ये भी है कि अब महिलायें भी कामकाजी हो गई हैI स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों में केन्टीन का खाना या फिर डिब्बा बंद खाना खाना एक प्रकार से मज़बूरी बन चुका है I
खानपान कि ये मिश्रित संस्कृति ने कुछ परेशानियाँ भी पैदा की हैं, मसलन कुछ व्यंजनों का मूल स्वाद ही नहीं मिल पाता और अलग अलग स्थानों पर अलग अलग स्वाद प्राप्त होता है इसी तरह कुछ पारंपरिक व्यंजन अब लुप्तप्राय होते जा रहे हैंI
अब घर बैठे ऑनलाइन खाना मांगने का चलन बढ़ा है, जिससे विविध व्यंजन लोगो को एक ही स्थान पर चुनाव के लिए उपलभ हो जाते है और लोग अपनी की जगह से उन्हें बुला भी सकते हैं I खानपान भी एक तरह से यूनिवर्सल हो गया है I
भारतीय खाने की खास बातें:
भारत में करीब 30 से ज़्यादा पाक कलाएं हैं.
भारतीय भोजन में फलियां, सब्ज़ियां, फल, अनाज, और दूध मुख्य रूप से शामिल है l
भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं, इसलिए भोजन भी अलग अलग तरह के होते हैं l
भारत में कई तरह के तेलों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे सरसों, सोयाबीन, मूंगफली और नारियल l
भारत में कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे काली मिर्च, लहसुन, हल्दी, जीरा, और धनिया l
भारतीय पाक संस्कृति हजारों वर्षों से फैले ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विकास का एक उत्पाद है। भारतीय व्यंजनों को लगातार बदलने वाले रूप से वर्णित किया जा सकता है, जो किसी ऐसी चीज़ को दर्शाता है, जिसमें सतह के नीचे कई परतें या पहलू होते हैं, जिसमें प्रत्येक परत पूरे पर अपना अमिट प्रभाव डालती है। व्यापार, यात्रा, विजय और आक्रमण के परिणामस्वरूप होने वाले सभी सांस्कृतिक आदान-प्रदानों ने भारत की पाक विरासत में योगदान दिया है। लेकिन इन सब के बीच अपने खानपान की पारंपरिक संस्कृति को बचाने की भी आवश्यकता है क्योंकि उसकी अपनी विशिष्टता है और हर चीज को केवल व्यवसायिकता की दृष्टी से नहीं देखा जाना चाहिएI