पक्षियों के लिए कितना घातक है 5G!

हम विश्व पटल पर सटीक चयन निर्वाचन से दसवीं से पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गए है दूरसंचार की तकनीकों 3G और 4G के बाद ब 5G के बेजा इस्तेमाल पर सवाल उठ रहे है कि हमें ईश्वर से प्राप्त सुंदर और प्रकृति संतुलन में सहायक हमारे वन्य जीव पक्षियों को इस तकनीक से उत्पन्न होने वाले रेडिएशन भविष्य में विलुप्तता की ओर ले जाएगी इन वन्य जीव पक्षियों की सभी प्रजातियों की संरक्षण भी सामूहिक रूप से हमारा आवश्यक उद्देश्य होना चाहिएI
क्यों है 5G पक्षियों के लिए इतनी घातक ?
दरअसल 5G मिलीमीटर वेव (MM waves) बैंडविथ सीरीज में काम करने वाली नई संचार तकनीक हे जो एक इलेक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिएशन। माइक्रोवेव में होता है , इलेक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिएशन। एअरपोर्ट के स्कैनर में भी मिलीमीटर वेव का उपयोग होता है पर वहां हम कुछ पल के लिए होते है जबकि मोबाइल फोन के संपर्क में हम अधिकांश समय होते है और इसकी शक्ति भी स्कैनर की तुलना में अधिक होती है I 5G तकनीक 50 Megabit/Second से लेकर 1 Gigabit/Second तक का डेटा ट्रांसफर कर सकती है और इसकी बैंडविथ 300 गीगाहट्ज़ तक है जो कि शक्तिशाली रेंज मानी जाती हैI ऐसा माना जा रहा है कि धीरे धीरे हमारे सभी इलेक्ट्रोनिक उपकरण 5G हो जायंगे और इसने ग्रुप संचार से भारी रेडीएशन होगा जिसके प्रभाव में मानव और पशु पक्षी आयेंगे I मानव शारीर के मुकाबले इन छोटे छोटे पक्षियों की सहशीलता इस रेडीएशन के प्रति कम होती है I
हालाँकि बहुत से वैज्ञानिक दावे हैं कि 5G तकनीक सुरक्षित है पर कोई साक्ष्य वाला लेख या रिसर्च अभी तक प्रस्तुत नही हो पाई हैI दुनिया भर के कई समूह इस तकनीक का विरोध कर रहे हैं और कुछ देशो में इसके टॉवर तोड़ने वाले भी प्रदर्शन हुए हैं I
हम भी देखते हैं कि बहुत से पक्षियों की प्रजाति आजकल दिखाई नहीं देती या बहुत कम दिखाई देती है तो इसकी क्या वजह हो सकती है ? हम सभी को इस पर सामूहिक चिंतन करने की आवश्यकता हैI