आरटीफीसियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक का खतरा!

एआई के उन्नति व बदते विस्तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारो और जनता के लिये चिंता का विषय है, साथ में राष्ट्रीय सुरक्षा पर और साइबर सुरक्षा पर प्रभाव भी विचारणीय हैं I ग़लत सूचनाओं से भरी दुनिया में एआई और अधिक प्रभावी तरीके से इन गलत सुचनाओ को लोगो तक पहुँचाने का साधन बनता जा रहा हैI डीप फेक एआई का ऐसा मीडिया कंटेंट है जो मुख्य रूप गलत सूचनाओ को ऐसे प्रभावी रूप में तैयार करता है कि असल लगेI डीपफेक, ऐसी मशीन लर्निंग एल्गोरिथम से तैयार होता है जो ऐसे फेस मैपिंग सॉफ्टवेयर के साथ मिलकर काम करता है जो बिना अनुमति के ही डेटा को डिजिटल कंटेंट में शामिल करने की क्षमता रखता हैI यदि इसका क्रियान्वन सटीकता से हो जाये ये परिणाम इतना सटीक डेटा है कि वो असल जैसा ही प्रतीत होता है परंतु वो असल नहीं होते – टेक्स्ट, आवाज या विडिओ जो भी बनाता है वो किसी मनुष्य द्वारा नहीं तैयार किये जाते बल्कि ये खुद ही तैयार कर लेता है I

अनेक शोध में ये पता लगाया गया कैसे डीपफेक कैसे सुरक्षा को प्रभावित करता है जैसे नकली सैन्य आर्डर तैयार करना, बड़े राजनेताओ के नकली बयान तैयार करना और जनता के बीच तनाव पैदा करने वाले कंटेंट बनाना I हमारे देश में लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओ के डीपफेक के अनेक विडिओ वाइरल हुए थे I
डीपफेक किस तरह से ये बड़ा खतरा बनती जा रही है ये ऐसे समझ सकते है कि इसका उपयोग कई अनैतिक कार्यो में हो रहा है जैसे नकली सबूत गढना, डीपफेक पोर्नोग्राफी, यौन उत्पीडन, व्यक्ति कि गोपनीयता भंग करना आदिI


सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनो और व्यायसायिक संगठनो को एआई कि बदती भूमिका और डीपफेक के जोखिम पर अधिक ध्यान देने कि आवश्यकता है और नई विकसित और सक्षम तकनीक पर काम करने के साथ साथ इसके लिए नीतियों और कानून भी बनाने चाहिए क्योंकि एआई और डीपफेक से बनाई गई हर गलत इनफार्मेशन लोगो के बीच तनाव पैदा करती है और लोगो के बीच अविश्वास भी इतना बढाता लोग असल पर भी विश्वास करने से कतराते है I
पहले से ही सोशल मीडिया का उपयोग गलत मंशा से काफी हो रहा था उसमे एआई और डीपफेक वैसा ही है जैसे सोने पे सुहागाI अलग अलग माध्यमो और प्लेटफ़ॉर्म से ऐसे व्यापक प्रोग्राम चलाने चाहिए जो एआई तथा डीपफेक के खतरों के प्रति लोगो को जागरूक करेंI